श्री रेखराज स्वामी, भू-अभिलेख निरीक्षक, तहसील केश्वरायपाटन(बूंदी) के द्वारा लिखित एक कविता- ऑनलाईन स्टेट बनाना है


                            ऑनलाईन स्टेट बनाना है

राजस्‍व विभाग ने ठाना है।
ऑनलाईन स्‍टेट बनाना है।।
जाति हिस्‍सा नाम निवास,
पहचान सही हो आम या खास,
मुश्किलात अब नही कभी हो,
सहज सुलभ अभिलेख सभी हो,
खातों में अपवाद न हों,
खेतों में विवाद न हो,
राहत सबको पहुंचाना है, ऑनलाईन स्‍टेट बनाना है।

काम न पूरा होगा जब तक,
नहीं रूकेंगे हमसब तब तक,
नक्‍शा खसरा शुमारी तक,
पटवारी से अधिकारी तक,
मौका मिला जनहित में हमको,
अपनी अपनी हद में सबको,
अपना हुनुर दिखाना है, ऑनलाईन स्‍टेट बनाना है।
जनहित में इस महायज्ञ में, सबको हाथ बंटाना है,
हम राजस्‍व के सैनिक हमको, अपना फर्ज निभाना है,
कूद पडे है समरांगण में, विजय श्री को पाना है।
कमर कसी हथियार हाथ अब, कंघी प्रकार पैमाना है,
राजस्‍व विभाग ने ठाना है, ऑनलाईन स्‍टेट बनाना है
कब्‍जे काश्‍त अभिलेख से इतर, कई कई खसरे है।
मौके पर भी कृषक अनेको, उलट-पुलट पसरे है।।
घटा बढा कुछ खसरों का, नक्‍शे में रकबा होता है।
कमी बेशी अनुपात रूप में, हमकों करना होता है।।
वन टू वन मैापिंग करना है, इसीलिए मजबूरी है।
ऐसे में गलती होने पर, माफ बहुत जरूरी है।।
होगा ना नुकसान किसी का, सबको विश्‍वास दिलाना है।
राजस्‍व विभाग ने ठाना है, ऑनलाईन स्‍टेट बनाना है।।
खाता नक्‍शा एक समान, करने का है यह अभियान,
आंच न आये कभी किसी पर, बना रहे सबका सम्‍मान,
अधिकारीगण से विनती यह, हमको मिले दिलासा,
धोखा धडी का हम पर कोई, चले नहीं इस्‍तगासा,
देकर के सुनवाई का अवसर, विधिवत न्‍याय कराना है
राजस्‍व विभाग ने ठाना है, ऑनलाईन स्‍टेट बनाना है।

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